वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) पर संविधान संशोधन बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद शुक्रवार को लोक सभा में भी पेश कर दिया गया है। इसके साथ ही देश भर में जीएसटी को लागू करने की राह आसान हो गई है।
जीएसटी को इस दशक का सबसे अहम आर्थिक सुधार माना जा रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग लगने वाले सभी कर एक ही कर में समाहित हो जाएंगे।
इससे पूरे देश में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें लगभग एक हो जाएंगी। मैन्युफैक्चरिंग लागत घटेगी, जिससे उपभोक्ताओं के लिए सामान सस्ता होगा।
अप्रत्यक्ष कर की इस नई व्यवस्था से अर्थव्यवस्था को 60 लाख करोड़ रुपये का फायदा होगा। पेश है जीएसटी, अब तक इसके सफर और आगे की संभावना पर दीपक मंडल का विश्लेषण।
क्या है जीएसटी
जीएसटी एक वैट है, जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगेगा। मौजूदा दौर में वैट सिर्फ वस्तुओं पर लागू होता है। जीएसटी दो स्तरों पर लगेगा।
एक केंद्रीय जीएसटी होगा, जबकि दूसरा राज्य का। इससे पूरा देश एकीकृत बाजार में तब्दील हो जाएगा और ज्यादातर अप्रत्यक्ष कर जीएसटी में समाहित हो जाएंगे।
केंद्र के स्तर पर यह केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर और अतिरिक्त सीमा शुल्क और राज्य स्तर पर वैट, मनोरंजन, विलासिता, लॉटरी टैक्स और बिजली शुल्क को समाहित कर लगेगा।
केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) खत्म हो जाएगा। प्रवेश शुल्क और चुंगी भी खत्म हो जाएगी। अलग-अलग टैक्स की बजाय एक टैक्स लगने की वजह से चीजों के दाम घटेंगे और आम उपभोक्ताओं को फायदा होगा।
सरकार की टैक्स वसूली की लागत भी घट जाएगी। जीएसटी दर का खुलासा नहीं हुआ है। ज्यादातर देशों में यह 14 से 16 फीसदी तक है।